कर्नाटक में विधानसभा चुनाव के मतदान में बस दो दिन का समय बाकी रह गया है। ऐसे में राज्य के दो प्रमुख लिंगायत मठों सिद्धारूढ़ स्वामी मठ और मूरुसवीर मठ में प्रमुख नेताओं का जमावड़ा लगने लगा है और चुनावी सफलता के लिए आशीर्वाद लेने की होड़ लगी है। दरअसल, इसके जरिये उनकी कोशिश राज्य की चुनावी राजनीति में खासा वर्चस्व रखने वाले लिंगायत समुदाय को साधने की है।
राज्य में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और उनके प्रतिद्वंद्वी दलों कांग्रेस और जनता दल (सेक्युलर) (जेडीएस) के नेताओं के बीच तमाम मुद्दों पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। लेकिन इनकी नजरें बेहद महत्वपूर्ण लिंगायत समुदाय पर भी लगातार टिकी हुई हैं। यही वजह है कि लिंगायत समुदाय के दो शीर्ष मठ इस समय फिर चर्चाओं के केंद्र में बने हुए हैं।
हालांकि, 2018 में भाजपा की जीत की राह आसान करने वाले लिंगायत समुदाय का रुख अभी बहुत स्पष्ट नहीं है। लिंगायत समुदाय को भगवा पार्टी का परंपरागत समर्थक माना जाता है। लेकिन इस बार विपक्षी दलों ने भी लिंगायत समुदाय और उनके धार्मिक नेताओं को साधने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।
टिकट न मिलने के कारण पूर्व सीएम जगदीश शेट्टार, पूर्व उपमुख्यमंत्री लक्ष्मण सावदी, नेहरू ओलेकर, एनवाई गोपालकृष्ण जैसे लिंगायत नेताओं के भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो जाने की वजह से भी सत्तारूढ़ पार्टी की राह थोड़ी कठिन होती नजर आ रही है। लिंगायत समुदाय का समर्थन हासिल करने की कोशिशों के बीच कांग्रेस नेता जगदीश शेट्टार ने भी कई लिंगायत संतों से मुलाकात की है।
लिंगायत संत बोले- सत्ता में कोई भी आए, हमारा आरक्षण बढ़ाए
बेलगावी। कुदालासंगम पंचमशाली पीठ के संत बासव जया मृत्युंजय स्वामी ने कहा है कि 10 मई के विधानसभा चुनाव के बाद जो भी राजनीतिक दल सत्ता में आए, उसे लिंगायत समुदाय को आरक्षण बढ़ाने पर ध्यान देना होगा। साथ ही, स्पष्ट कर दिया कि वह खुले तौर पर किसी भी राजनीतिक दल की आलोचना या समर्थन नहीं करना चाहते हैं।
मृत्युंजय स्वामी ने बताया कि सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली तत्कालीन सरकार (2013 से 2018) ने केंद्र से लिंगायत समुदाय को अल्पसंख्यक का दर्जा देने की सिफारिश की थी, जैसे जैन और बौद्ध धर्म के लिए है। हालांकि, केंद्र सरकार ने न तो यह प्रस्ताव स्वीकारा और न ही खारिज किया। साथ ही कहा कि लिंगायत समुदाय को जल्द ही अल्पसंख्यक का दर्जा मिलने की उम्मीद है। राज्य में लिंगायतों की आबादी 17 फीसदी है। ब्यूरो
उत्तरी कर्नाटक इसलिए अहम
224 सदस्यों वाली राज्य विधानसभा के लिए 90 सदस्य कित्तूर कर्नाटक (मुंबई कर्नाटक) और कल्याण कर्नाटक (हैदराबाद कर्नाटक) को मिलाकर बने उत्तरी कर्नाटक से चुने जाते हैं।
तिलक और गांधी भी जा चुके हैं मठ
- सिद्धारूढ़ स्वामी मठ का निर्माण सिद्धारूढ़ स्वामी की स्मृति में किया गया था, जिन्होंने 1929 में ‘समाधि’ ग्रहण की थी।
- 1919 में लोकमान्य गंगाधर तिलक और 1924 में महात्मा गांधी भी इसका दौरा कर चुके हैं।
- मठ ट्रस्ट के शेखर देव गौड़ा कहते हैं कि सभी दलों के नेता मनोकामना पूरी होने की उम्मीद में आशीर्वाद लेने पहुंचते हैं।
- वहीं, मूरुसवीर मठ के गुरुसिद्ध राजयोगिंद्र स्वामी ने भगवा पार्टी को समर्थन का एलान किया है।