बिहार के मुजफ्फरपुर बालिका गृह (शेल्टर होम) यौन उत्पीड़न कांड की घटना पर अब भी कुछ न कुछ बातें सामने आती ही रहती हैं। इस बार सामने आई है इसी पूरे मामले पर बनी एक ऐसी फिल्म जिसमें न सिर्फ पूरे मामले को एक अलग तरीके से देखने की कोशिश की गई है, बल्कि इसमें कुछ ऐसी बातें भी उजागर होती दिख रही हैं, जो अब तक खबरों में नहीं आईं। फिल्म जुलाई के पहले सप्ताह में रिलीज होने जा रही है। फिल्म का टीजर यूट्यूब पर रिलीज कर दिया गया है।
फिल्म ‘नफीसा’ के टीजर में शुरू से ही इस पूरे मामले को तहकीकात के नजरिये से दिखाया गया है। अपना घर छोड़कर निकली एक किशोरी अपने प्रेमी से बीच सड़क इस बात पर पिटती दिखती है। पुलिस आती है। मामला सियासी रंग लेता भी दिखता है और फिर थाने में बैठी दिखती हैं, तीन महिलाएं। एक पुलिसवाली है। मेज की दूसरी तरफ दो महिलाएं और हैं। इस दौरान अनामिका पांडे का जो संवाद है, वह टीजर के असर में मुजफ्फरपुर की असली हवा घोलता है।
टीजर के हिसाब से देखें तो ये एक मसाला फिल्म नजर आती है। कोरियोग्राफर गणेश आचार्य के निर्देशन में फिल्माया एक गीत ‘तोल तोल के’ की झलक भी इसमें दिखती है। लड़कियों के शोषण की इस कहानी को फिल्म ‘नफीसा’ में लड़कियों के नजरिये से ही दिखाने की कोशिश की गई है। अनामिका पांडे के केंद्रीय किरदार के अलावा जिन अन्य कलाकारों को फिल्म में अलग अलग महिला किरदार मिले हैं, उनमें नाजनीन, सान्या, मनीषा और उपासना भी शामिल हैं।
फिल्म ‘नफीसा’ के लेखक-निर्देशक कुमार नीरज बताते हैं, ‘साल 2018 में जब यह घटना घटी तो मैं उस समय अपनी ननिहाल मुजफ्फरपुर में ही था। इस घटना ने मुझे अंदर से पूरी तरह से व्यथित कर दिया। मुझे लगा कि यह कहानी लोगो तक पहुंचनी चाहिए। फिल्म में इस केस से जुड़े ऐसे पहलुओं को दिखाया गया है जिनका खुलासा मीडिया में हुआ ही नहीं। इस फिल्म के लिए मैंने केस की पांच पीड़ित लड़कियों से बात की, इसके अलावा कोर्ट में जो केस फाइल है, उसको आधार बनाकर फिल्म का निर्माण किया गया है।’ नीरज इसके पहले फिल्म ‘गैंग्स ऑफ बिहार’ का भी निर्देशन कर चुके हैं।
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वहीं, फिल्म में केंद्रीय भूमिका निभा रही अभिनेत्री अनामिका पांडे कहती हैं, ‘निर्देशक कुमार नीरज ने ये फिल्म काफी शोध के बाद बनाई है। फिल्म को हकीकत के करीब रखने की उनकी मेहनत और कोशिश तारीफ के काबिल है। ये एक ऐसा मुद्दा है जिस पर फिल्म बनाने का साहस करना ही अपने आप में बड़ी बात है। मुझे पूरी उम्मीद है कि ‘नफीसा’ के जरिये जो संदेश हम देना चाह रहे हैं, वह देश के हर शहर, गांव और गली तक जरूर पहुंचेगा।’