भाजपा और कांग्रेस ने ओडिशा के बीजू जनता दल (बीजद) सरकार से पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार को खोलने की मांग की है। इसी के साथ दोनों ही पार्टियों ने 12वीं सदी के इस मंदिर के खजाने की चाभी गायब होने के मामले की जांच के लिए गठित न्यायिक आयोग की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की भी मांग उठाई। दोनों ही पार्टियों की तरफ से यह मांग तब उठी जब उड़ीसा उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से 10 जुलाई तक अपना जवाब दाखिल करने के लिए कहा।
राज्य सरकार पर इस मामले की कार्रवाई न करने का आरोप लगाते हुए भाजपा के प्रवक्ता पीताम्बर आचार्य ने कहा- “न्यायिक पैनल ने पांच साल पहले नवंबर 2018 में अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी थी, लेकिन सरकार ने इस पर कोई भी कार्रवाई नहीं की और मामले को वैसे ही छोड़ दिया।”
वहीं कांग्रेस नेता बिजय पटनायक ने कहा- “अगर सरकार पारदर्शिता को मानती है तो उन्हें न्यायिक आयोग के रिपोर्ट को बिना किसी देरी के सार्वजनिक करना चाहिए।”
दोनों पार्टियों के बयान के बाद सत्तारूढ़ पार्टी बीजद ने अपने बयान में कहा कि रत्न भंडार का द्वार 38 सालों यानी की 1985 से नहीं खुला है और यहां विपक्षी दल जगन्नाथ भगवान के नाम पर भी राजनीति कर रहे हैं।
रत्न भंडार में है दो कक्ष
रत्न भंडार मंदिर के तहखाने में स्थित है। इसके दो कक्ष है, बाहरी कक्ष में देवताओं द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले आभूषणों का संग्रह है। वहीं आंतरिक कक्ष में आभूषण के कई टुकड़े रखे गए हैं। बाहरी कक्ष की चाभियां उपलब्ध हैं, लेकिन आंतरिक कक्ष की चाभियां गायब है। भाजपा के प्रवक्ता आचार्य ने बताया कि राज्य सरकार ने दावा किया है कि उनके पास नकली चाभियां है। पांच साल से किए इस दावे पर जनता को शंका है।
कोर्ट ने ओडिशा सरकार से किया था जवाब-तलब
इससे पहले उड़ीसा हाईकोर्ट ने मंगलवार को राज्य सरकार से उस याचिका पर 10 जुलाई तक जवाब दाखिल करने को कहा था, जिसमें पुरी के जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार की लापता चाबियों के बारे में जस्टिस रघुबीर दास के जांच आयोग की रिपोर्ट सार्वजनिक करने का निर्देश देने की मांग की गई थी। आयोग का गठन जून 2018 में उन परिस्थितियों की जांच के लिए किया गया था, जिनके तहत जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार या खजाने की चाबियां गुम हो गई थीं। आयोग ने उसी साल नवंबर में अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपी थी, लेकिन इसे सार्वजनिक नहीं किया गया था।
38 साल पहले खुला था रत्न भंडार का द्वार
साल 1985 में रत्न भंडार का द्वार जब खोला गया था, तब कोई नई सूची तैयार नहीं की गई थी। पूर्व मंदिर प्रशासक रवींद्र नारायण मिश्र ने नई सूची तैयार करने का समर्थन करते हुए एएसआई से इसकी निरिक्षण करने की मांग की थी। वहीं 2021 में तब कानून मंत्री प्रताप जेना ने कोर्ट को बताया था कि 1978 की सूची के हिसाब से रत्न भंडार में सोने की 12,831 भरी और चांदी की 22,153 भरी थी। एक भरी 11.66 ग्राम के बराबर होता है।
खजाने में 12,831ग्राम सोने के गहने और कीमती पत्थर भी थे। करीबन 22,153 चांदी के गहने, कीमती पत्थर, चांदी के बर्तन और अन्य कीमती तोहफे वहां मौजूद थे। जेना ने बताया कि विभिन्न कारणों से 14 ग्राम सोने और चांदी के वस्तुओं का वजन नहीं किया गया था।