Wrestlers Protest:अस्थायी समिति 45 दिन के अंदर कराएगी कुश्ती संघ के चुनाव, आईओए ने गठित की तीन सदस्यीय समिति – Wrestlers Protest: Temporary Committee Will Conduct Wrestling Association Elections Within 45 Days
जंतर-मंतर पर पहलवानों का प्रदर्शन और बृजभूषण शरण सिंह
– फोटो : सोशल मीडिया
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भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) ने गुरुवार को भारतीय कुश्ती संघ के चुनाव कराने और रोजमर्रा कार्य देखने के लिए तीन सदस्यीय अस्थायी समिति का गठन कर दिया। खेल मंत्रालय की ओर से कुश्ती संघ की सात मई को होने वाली कार्यकारी समिति को खारिज किए जाने के बाद आईओए ने यह समिति गठित की है। समिति भारतीय वूशु संघ के अध्यक्ष मेरठ निवासी भूपेंदर सिंह बाजवा और ओलंपियन शूटर सुमा शिरूर को शामिल किया गया है। समिति के तीसरे सदस्य सेवानिवृत जज के नाम की घोषणा बाद में की जाएगी। आईओए अध्यक्ष पीटी उषा ने कहा कि यह समिति बृहस्पतिवार से ही काम संभाल लेगी और 45 दिन के अंदर कुश्ती संघ के चुनाव कराएगी।
कुश्ती टीमों का चयन भी करेगी समिति
उषा ने इस दौरान पहलवानों के धरने को देश की छवि खराब करने वाला बताया। उन्होंने कहा कि बाजवा आईओए की कार्यकारी परिषद के सदस्य हैं और सुमा विशिष्ट खिलाड़ी के तौर पर आईओए सदस्य हैं। महिला पहलवानों को कोई दिक्कत नहीं आए। इसे ध्यान में रखते हुए सुमा को समिति में रखा गया है। खेल मंत्रालय ने आईओए को तदर्थ या अस्थायी समिति गठित करने के लिए कहा था। आईओए ने इसी का पालन किया था। यह समिति कुश्ती टीमों को अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में बाहर भेजने के अलावा टीमों के चयन के लिए जिम्मेदार होगी। उषा का कहना है कि चुनाव प्रक्रिया में किसी तरह की कानूनी अड़चन नहीं आए इसके लिए समिति में सेवानिवृत जज को शामिल किया जा रहा है।
अपवाद के रूप में गठित की गई है समिति
हालांकि नए संविधान के अनुसार आईओए किसी भी खेल महासंघ में न तो अस्थायी समिति गठित कर सकती है और न ही उसके नीचे चुनाव करा सकती है। इस पर आईओए के संयुक्त सचिव कल्याण चौबे ने कहा कि इस मामले को अपवाद के रूप में देखा जाना चाहिए। एशियाई खेल और राष्ट्रीय खेलों को ध्यान में रखते हुए कुश्ती की गतिविधियां जरूरी है, इस लिए अस्थायी समिति का गठन किया गया है।
चौबे बोले पहलवानों की स्थिति में वह होते तो धरने पर नहीं बैठते
कल्याण चौबे ने कहा कि पहलवानों को अपना विरोध दर्ज कराने के लिए धरने के अलावा और कोई रास्ता अपनाना चाहिए था। वह भी एक खिलाड़ी रहे हैं और अगर उनके सामने ऐसी स्थिति होती तो वह धरने पर नहीं बैठते। सोशल मीडिया के दौर में इससे देश की छवि को धक्का पहुंचा है। यहां आप किसी खेल संघ या उसके अध्यक्ष के खिलाफ लड़ाई नहीं लड़ रहे हो बल्कि आप देश की छवि को धक्का पहुंचा रहे हो।