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वक्फ कानून पर ‘सुप्रीम’ सुनवाईः सरकार को जवाब देने के लिए सात दिन का समय, अभी वक्फ बोर्ड में नहीं होगी कोई नियुक्ति

फिलहाल वक्फ संपत्तियों में बदलाव पर रोक

 

 

 

नई दिल्ली. एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को लेकर दायर की गई याचिकाओं पर सुनवाई की। नए वक्फ कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने वाले याचिकाकर्ताओं को गुरुवार को बड़ी राहत मिली है। अगले एक हफ्ते तक वक्फ बोर्ड में किसी की नियुक्ति नहीं होगी और वक्फ बाथ यूजर की संपत्ति को भी डिनोटिफाई नहीं किया जाएगा। केंद्र सरकार ने कोर्ट को यह भरोसा दिया है। केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से स्टे नहीं लगाने की मांग करते हुए जवाब देने के लिए हफ्तेभर का समय मांगा, जिसे अदालत ने दे दिया। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाधन की पीठ ने कहा कि फिलहाल इस कानून को लेकर पहले जैसी स्थिति बनी रहेगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगले आदेश तक वक्फ बोर्ड में कोई नियुक्ति नहीं की जाएगी। केंद्र सरकार का जवाब आने तक वक्फ की संपत्ति पहले जैसी बनी रहेगी। अगली सुनवाई तक कलेक्टर वक्फ संपत्ति को लेकर कोई आदेश जारी नहीं करेंगे। सरकार ने आश्वासन दिया कि अगली सुनवाई तक ‘उपयोगकर्ता की और से वक्फ’ या ‘दस्तावेजों की ओर से वक्फ संपत्तियों को गैर-अधिसूचित नहीं किया जाएगा। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि यदि किसी वक्फ संपत्ति का पंजीकरण 1995 के अधिनियम के तहत हुआ है, तो उन संपत्तियों को 5 मई को अगली सुनवाई तक गैर-अधिसूचित नहीं किया जा सकता। इसके बाद कोर्ट ने मामले की अगली तारीख 5 मई तय की। सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया, अदालत ने कहा था कि कानून में कुछ सकारात्मक बातें हैं और इस पर पूरी तरह रोक नहीं लगाई जा सकती। वह नहीं चाहता कि मौजूदा स्थिति में कोई बदलाव हो। कोर्ट ने कहा कि जब मामला कोर्ट

 

View Of Indian Supreme court main building from the supreme court lawn In New Delhi .

 

में लंबित है, तो हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि मौजूदा स्थिति में कोई बदलाव न हो।

 

सरकार ने कहा- कानून पर रोक लगाना कठोर कदम होगा सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार लोगों के प्रति जवाबदेह है। सरकार को लाखों-लाखों प्रतिनिधि मिले, गांव-गांव वक्फ में शामिल किए गए। इतनी सारी जमीनों पर वक्फ का दावा किया जाता है। इसे कानून का हिस्सा माना जाता है। अंतरिम रोक की राय पर मेहता ने कहा कि कानून पर रोक लगाना एक कठोर कदम होगा। उन्होंने अदालत के सामने कुछ दस्तावेजों के साथ प्रारंभिक जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय मांगा। सॉलिसिटर जनरल ने आश्वासन दिया कि इस दौरान बोर्ड या काउंसिल की कोई नियुक्ति नहीं होगी। उन्होंने यह भी कहा कि यह ऐसा मामला नहीं है, जिस पर इस तरह से विचार किया जा सके। अगली सुनवाई तक यथास्थिति बनी रहेगी सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल के इस बयान को रिकॉर्ड में लिया कि केंद्र सान दिनों के भीतर जवाब देगा। सुप्रीम

कोर्ट ने कहा कि सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि परिषद और बोर्ड में कोई नियुक्ति नहीं की जाएगी। कोर्ट ने कहा कि सॉलिसिटर जनरल ने आश्वासन दिया कि अगली सुनवाई की तारीख तक, वक्फ, जिसमें पहले से पंजीकृत या अधिसूचना के माध्यम से घोषित वक्फ बाय यूजर शामिल है, को न तो डीनोटिफाई किया जाएगा और न ही कलेक्टर इसे लेकर कोई फैसला लेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र सात दिनों के भीतर जवाब दाखिल करे। तब तक

 

यथास्थिति बनी रहेगी। केवल पांच याचिकाओं पर सुनवाई

 

दूसरी ओर पीठ ने कहा कि इस मुद्दे पर कई याचिकाओं पर विचार करना असंभव है। पीठ ने स्पष्ट किया कि वह केवल पांच याचिकाओं पर सुनवाई करेगी, जबकि वकीलों से कहा कि वे आपस में तय करें कि कौन बहस करेगा

पिछली सुनवाई पर पूछा था कोर्ट ने

 

इससे पहले, बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन)

 

अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान केंई से पूछा कि क्या मुसलमानों को हिंदू धार्मिक ट्रस्टों का हिस्सा बनने की अनुमति दी जाएगी। प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति संजय कु‌मार और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाधन की पीठ ने केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि वक्फ बाय यूजर को कैसे अस्वीकृत किया जा सकता है, क्योंकि कई लोगों के पास ऐसे वक्फों को पंजीकृत कराने के लिए अपेक्षित दस्तावेज नहीं होंगे। प. बंगाल में हिंसा पर जताई थी चिंता पिछली सुनवाई के अंत में सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में चल रही हिंसा पर भी चिंता व्यक्त की थी और कहा था कि एक बात बहुत परेशान करने वाली है कि हिंसा हो रही है। अगर मामला कोर्ट में लंबित है तो ऐसा नहीं होना चाहिए। याचिकाकर्ताओ की ओर से पेश कपिल सिब्बल, राजीव धवन, अभिषेक मनु सिंघवी सहित कई वरिष्ठ वकीलों ने भी कहा, हिंसा नहीं होनी चाहिए।

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