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समलैंगिक विवाह:’संसद के पास कानून बनाने का अधिकार, देखना होगा हम कहां तक जा सकते हैं’, शीर्ष कोर्ट की टिप्पणी – Supreme Court Told Parliament Has Power To Legislate; How Far Can Courts Go In Same Gender Marriage

Supreme Court told Parliament has power to legislate; how far can courts go in Same gender marriage

सुप्रीम कोर्ट
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार

समलैंगिक विवाह के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई जारी रही। इस दौरान शीर्ष कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ ने समलैंगिक विवाह को लेकर अहम टिप्पणी की। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि समलैंगिक विवाह को वैध बनाना इतना आसान भी नहीं है, जितना कि यह दिखता है। इस मुद्दे पर कानून बनाने के लिए संसद के पास निर्विवाद रूप से विधायी शक्ति है। ऐसे में हमें इस विचार करना है कि हम इस दिशा में कितनी दूर तक जा सकते हैं। 

भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि अगर समलैंगिक विवाह की अनुमति दी जाती है, तो इसके परिणामी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए इसकी न्यायिक व्याख्या, विशेष विवाह अधिनियम, 1954 तक ही सीमित नहीं रहेगी। इसके दायरे में व्यक्तिगत कानून भी चलन में आ जाएंगे। पीठ ने कहा कि शुरू में हमारा विचार था कि इस मुद्दे पर हम पर्सनल लॉ को नहीं छूएंगे, लेकिन बिना पर्सनल लॉ में परिवर्तन किए समलैंगिक शादी को मान्यता देना आसान काम नहीं है। 

याचिकाकर्ताओं ने दी यह दलील

समलैंगिक विवाह को कानूनी मंजूरी देने की मांग कर रहे याचिकाकर्ताओं ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान अपनी दलील पेश की। समलैंगिक विवाह के अधिकार को मान्यता देने का अनुरोध करते उन्होंने पीठ से कहा कि अदालत ऐसा कहकर कि वह इस मुद्दे पर कुछ नहीं कर सकती, अपना पल्ला नहीं झाड़ सकती। उन्हें कुछ राहत तो देनी ही चाहिए।  



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