कांग्रेस ने चीन और अदाणी को लेकर पीएम मोदी पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जनसंपर्क मशीनरी उनके ‘मन की बात’ के 100 वें एपिसोड के लिए ओवरटाइम काम कर रही है, जबकि अदाणी और चीन जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चुप है।
बता दें, पीएम मोदी का ‘मन की बात’ कार्यक्रम अगले रविवार को अपने 100वें संस्करण को पूरा करने के लिए तैयार है। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह जनता का समर्थन था, जिसके कारण इस कार्यक्रम को सफलता मिली।
जयराम रमेश ने साधा निशाना
वहीं, कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट कर पीएम के मन की बात कार्यक्रम को लेकर बड़ी बात कही। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की शक्तिशाली जनसंपर्क मशीनरी 30 अप्रैल को 100वीं ‘मन की बात’ के लिए ओवरटाइम काम कर रही है। लेकिन महत्वपूर्ण मुद्दों पर यह मौन की बात है। अदाणी, चीन और सत्यपाल मलिक से जुड़ा खुलासा आदि मामलों पर यह चुप्पी साधे हुए हैं।
23 करोड़ लोगों की पसंद ‘मन की बात’ कार्यक्रम
हर महीने के आखिरी रविवार को देश में करीब 23 करोड़ लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मन की बात’ कार्यक्रम से जुड़ते हैं। 65 प्रतिशत श्रोता इसे हिंदी में सुनना पसंद करते हैं। हाल ही में, एक सर्वे में सामने आया कि 100 करोड़ से अधिक लोग कार्यक्रम को कम से कम एक बार सुन चुके हैं। जबकि लगभग 41 करोड़ सामयिक श्रोता हैं। आंकड़े इंस्टीट्यूट ऑप मैनेजमेंट रोहतक की ओर से किए गए सर्वे के अनुसार हैं।
सर्वे में ये भी सामने आया था कि मन की बात कार्यक्रम का 100वां संस्करण जो इस रविवार आने वाला है, कार्यक्रम मोबाइल फोन के बाद टेलीविजन चैनलों पर अधिक सुना जाता है, वहीं कुल श्रोताओं में 17.6 प्रतिशत हिस्सा रेडियो श्रोताओं का है।
44.7 प्रतिशत टीवी पर सुनते हैं कार्यक्रम
आईआईएम-रोहतक के निदेशक धीरज पी शर्मा ने सोमवार को कहा कि कुल श्रोताओं में से 44.7 प्रतिशत टेलीविजन सेट पर कार्यक्रम सुनते हैं, जबकि 37.6 प्रतिशत मोबाइल फोन पर सुनते हैं। वहीं, प्रसार भारती के मुख्य कार्यकारी अधिकारी गौरव द्विवेदी ने कहा कि 22 भारतीय भाषाओं और 29 बोलियों के अलावा, ‘मन की बात’ फ्रेंच, चीनी, इंडोनेशियाई, तिब्बती, बर्मी, बलूची, अरबी, पश्तू, प्रसियन, दारी और स्वाहिली जैसी 11 विदेशी भाषाओं में प्रसारित किया जाता है। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम का प्रसारण ऑल इंडिया रेडियो के 500 से अधिक केंद्रों द्वारा किया जा रहा है।
ऐसे किया गया था सर्वे
आईआईएम-रोहतक के छात्रों द्वारा किए गए सर्वेक्षण में चार क्षेत्रों – उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम और विभिन्न आयु समूहों में 10,003 उत्तरदाताओं तक पहुंचा गया, जिनमें से अधिकांश सेल्फ एंप्लोइड और इन्फोर्मल सेक्टर से संबंध रखते हैं।
सर्वेक्षण में पाया गया कि 18 प्रतिशत लोगों ने कार्यक्रम को अंग्रेजी में, चार प्रतिशत ने उर्दू में, और दो प्रतिशत ने डोगरी और तमिल में सुनना पसंद किया। अन्य भाषाओं जैसे मिजो, मैथिली, असमिया, कश्मीरी, तेलुगु, ओडिया, गुजराती और बंगाली के 9 प्रतिशत श्रोता हैं। 73 प्रतिशत लागों ने सरकार के कामकाज और देश की प्रगति के बारे में आशावादी महसूस किया, जबकि 58 प्रतिशत ने कहा कि उनके रहने की स्थिति में सुधार हुआ है। कम से कम 59 प्रतिशत ने सरकार में विश्वास बढ़ने की बात कही।
सरकार के प्रति आम धारणा का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 63 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि सरकार के प्रति उनका दृष्टिकोण सकारात्मक हो गया है और 60 प्रतिशत ने राष्ट्र निर्माण के लिए काम करने में रुचि दिखाई है। सर्वेक्षण में पाया गया कि ‘मन की बात’ कार्यक्रम का सबसे लोकप्रिय विषय भारत की वैज्ञानिक उपलब्धियां, आम नागरिकों की कहानियां, सशस्त्र बलों की वीरता, युवाओं से जुड़े मुद्दे, पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन रहे हैं।