Cycling: Sarita Hopeful Gold In Cycling May Change Fate Of Family, Read The Story Of Her Struggle – Amar Ujala Hindi News Live – Cycling:सरिता को उम्मीद
बाएं से- सबिना, सरिता, जायना, निया स्वर्ण पदक के साथ
– फोटो : CFI
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माता-पिता का जिक्र छिड़ते ही सरिता की आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। झारखंड के जिले लोहरदगा की रहने वाली साइकिलिस्ट सरिता को उम्मीद जग पड़ी है कि एशियाई चैंपिनशिप में जीता गया स्वर्ण शायद उनके माता-पिता की किस्मत को बदल दे। बुुधवार को टीम स्प्रिंट का स्वर्ण जीतने वाली सरिता के माता-पिता मजदूर हैं। दोनों घरों में काम कर परिवार को पाल रहे हैं। पांच बहनों में सबसे छोटी सरिता के दो भाई भी हैं। इतना बड़ा परिवार होने के कारण माता-पिता के लिए दो वक्त की रोटी भी जुटाना मुश्किल है। सरिता कहती हैं कि वह अपने माता-पिता को अच्छी जिंदगी देना चाहती हैं और इसके लिए वह साइकिलिंग में और अच्छा करने की कोशिश करेंगी।
एथलेटिक्स में थी राज्य चैंपियन
तीन वर्ष पहले तक सरिता ने साइकिलिंग के बारे में सुना भी नहीं था कि यह कोई खेल भी होता है। वह तो एथलेटिक्स की 400 मीटर इवेंट में राज्य चैंपियन बन चुकी थीं और इसी खेल में ऊंची उड़ान का सपना बुन रही थीं, लेकिन 2021 में कोच दीपक हेंबराम ने उन्हें खेलो इंडिया के ट्रायल देने के लिए कहा। ये ट्रायल एथलेटिक्स के लिए नहीं बल्कि साइकिलिंग थे। हालांकि उन्हें ट्रायल में साइकिल नहीं चलानी थी बल्कि 800 मीटर की दौड़ लगानी थी। जिला और राज्य स्तरीय ट्रायल जीतने के बाद सरिता का दिल्ली के फाइनल ट्रायल के लिए चयन हुआ और यहां उन्होंने पहली बार खेलों में प्रयोग होने वाली साइकिल देखी।
दो साल में बन गईं सर्वश्रेष्ठ रायडर
जुलाई, 2021 में सरिता ने साइकिलिंग की तैयारी शुरू की। 2022 की राष्ट्रीय चैंपियनशिप में उन्होंने रजत पदक जीता और 2023 में सरिता गुवाहाटी राष्ट्रीय चैंपियनशिप में तीन स्वर्ण जीतकर सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी चुनी गईं। अब उन्होंने निया, जेना, सबीना के साथ मिलकर टीम स्प्रिंट का एशियाई चैंपियनशिप में स्वर्ण जीता। सरिता कहती हैं कि उन्हें यही चिंता रहती है कि घर कैसे चल रहा होगा, वह माता-पिता की कोई मदद भी नहीं कर पाती हैं। वहीं भारतीय टीम के चीफ कोच जोगिंदर का मानना है कि सरिता काफी प्रतिभाशाली हैं और वह आने वाले सालों में इस खेल का बड़ा नाम बन सकती हैं।