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Indian Chess Player Divya Deshmukh On Discrimination Row At Tata Steel Masters I Do Not Wish To Be Face Of It – Amar Ujala Hindi News Live – Divya Deshmukh:महिला खिलाड़ियों के साथ भेदभाव पर बोलने वाली दिव्या की सफाई

Indian Chess Player Divya Deshmukh on discrimination row at Tata Steel Masters i do not wish to be Face of it

दिव्या देशमुख
– फोटो : Divya Deshmukh Instagram

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भारतीय शतरंज खिलाड़ी दिव्या देशमुख ने उनके साथ हुए भेदभाव के मामले पर सफाई जाहिर की है। दिव्या ने नीदरलैंड के विज्क आन जी में हाल ही में संपन्न टाटा स्टील मास्टर्स में उनके साथ हुए भेदभाव का खुलासा किया था। इसके बाद वह चर्चा में आ गईं। अब उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के जरिए साफ किया है कि वह एक खिलाड़ी के रूप में अपनी पहचान बनाना पसंद करती हैं। वह महिलाओं के साथ होने वाले भेदभाव के खिलाफ आवाज का चेहरा नहीं बनना चाहती हैं।

दिव्या ने आरोप लगाया था कि उन्हें टाटा स्टील मास्टर्स प्रतियोगिता में दर्शकों से लैंगिक व्यवहार सहना पड़ा। उन्होंने कहा कि टूर्नामेंट के दौरान दर्शकों ने उनके बाल, कपड़े और उच्चारण जैसी अप्रासंगिक चीजों पर ध्यान केंद्रित किया। अपनी इंस्टाग्राम स्टोरी में दिव्या ने लिखा “मैं एक आखिरी स्पष्टीकरण जोड़ना चाहूंगी क्योंकि मैंने जो कहा है उसे बड़े स्तर पर प्रचारित किया जा रहा है, मैं अपने मामले में “लैंगिक भेदभाव” शब्द को बढ़ावा देने के साथ जुड़ना नहीं चाहूंगी। मेरी इसका चेहरा बनने की इच्छा नहीं है, बल्कि  मैं महिला शतरंज और विशेष रूप से युवा लड़कियों और जूनियर्स के लिए एक एंबेसडर बनने की इच्छा है, जो मेरी तरह शीर्ष शतरंज खिलाड़ी बनने की आकांक्षा रखती हैं। मेरा एकमात्र उद्देश्य महिला शतरंज खिलाड़ियों के लिए बेहतर माहौल सुनिश्चित करना और जागरूकता लाना है।”

नागपुर की 18 वर्षीय अंतर्राष्ट्रीय मास्टर, जिन्होंने पिछले साल एशियाई महिला शतरंज चैंपियनशिप जीती थी। उन्होंने मंगलवार को एक लंबी सोशल मीडिया पोस्ट साझा की, जिसमें उन्होंने विज्क आन जी में अपने अप्रिय अनुभव के बारे में विस्तार से बताया। दिव्या ने बताया कि महिला खिलाड़ियों को नियमित रूप से भेदभाव का सामना करना पड़ता है। 

देशमुख ने कहा, “मैं कुछ समय से इस पर बात करना चाह रही थी, लेकिन अपने टूर्नामेंट के खत्म होने का इंतजार कर रही थी। मुझे बताया गया और मैंने खुद भी देखा कि शतरंज में महिलाओं को अक्सर दर्शक कैसे हल्के में लेते हैं। व्यक्तिगत स्तर पर इसका सबसे ताजा उदाहरण इस टूर्नामेंट में दिखा, मैंने कुछ मैच खेले जो मुझे लगा कि काफी अच्छे थे और मुझे उन पर गर्व है।”

उन्होंने रविवार को एक इंस्टाग्राम पोस्ट में लिखा, “मुझे लोगों ने बताया कि कैसे दर्शकों को खेल में कोई रुचि नहीं थी, बल्कि उन्होंने दुनिया की हर संभव चीज पर ध्यान केंद्रित किया: मेरे कपड़े, बाल, उच्चारण और हर दूसरी अप्रासंगिक चीज।”

टाटा स्टील मास्टर्स में देशमुख 4.5 के स्कोर के साथ चैलेंजर्स वर्ग में 12वें स्थान पर रहीं। उन्होंने कहा कि जहां पुरुष खिलाड़ियों को पूरी तरह से उनके खेल के लिए स्पॉटलाइट मिल रही थी, वहीं महिलाओं को उन पहलुओं के लिए आंका गया, जिनका शतरंज बोर्ड पर उनकी क्षमता से कोई लेना-देना नहीं था। यह सुनकर मैं काफी परेशान हुई और मुझे लगता है कि यह दुखद सच्चाई है कि जब महिलाएं शतरंज खेलती हैं तो लोग अक्सर इस बात को नजरअंदाज कर देते हैं कि वे वास्तव में कितनी अच्छी हैं, वे जो खेल खेलती हैं और उनकी ताकत क्या है। मैं यह देखकर काफी निराश हुई कि मेरे साक्षात्कारों में (दर्शकों द्वारा) मेरे खेल को छोड़कर हर चीज के बारे में चर्चा की गई, बहुत कम लोगों ने इस पर ध्यान दिया और यह काफी दुखद बात है। मुझे लगा कि यह एक तरह से अनुचित है क्योंकि अगर मैं किसी व्यक्ति के साक्षात्कार में जाऊंगी तो व्यक्तिगत स्तर पर खेल और खिलाड़ी के बारे में वास्तविक प्रशंसा कम होगी।”

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