Why Sports Ministry Suspended Sanjay Singh Lead Wrestling Federation Of India How Rules Were Broken – Amar Ujala Hindi News Live
संजय सिंह
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भारतीय कुश्ती संघ के निलंबन के बाद इस खेल से जुड़े कामकाज देखने के लिए खेल मंत्रालय ने भारतीय ओलंपिक संघ से तदर्थ समिति बनाने को कहा है। यही समिति भारतीय पहलवानों से जुड़े सारे फैसले लेगी और उम्मीद है कि आने वाले समय में नए सिरे से चुनाव होने के बाद नए अध्यक्ष की अगुआई में कुश्ती संघ का पुनर्गठन होगा। 21 दिसंबर को कुश्ती संघ के चुनाव होने के बाद माना जा रहा था कि एक साल से चला आ रहा विवाद अब खत्म होगा। नए अध्यक्ष लंबे समय तक संघ का कामकाज देखेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। आइए जानते हैं कि क्यों संजय सिंह की अध्यक्षता वाले कुश्ती संघ को निलंबित किया गया है।
खेल मंत्रालय ने संजय सिंह के नेतृत्व वाले भारतीय कुश्ती संघ के संविधान का उल्लंघन पाए जाने के बाद इसे निलंबित किया है। संजय सिंह को जल्दबाजी में लिए गए फैसले का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है, जो उन्होंने सत्ता में आते ही लिया था। संजय सिंह के नेतृत्व वाले प्रशासनिक निकाय ने बिना पूर्व सूचना दिए गुरुवार को अंडर-15 और अंडर-20 नेशनल की घोषणा की और इसका आयोजन 28-30 दिसंबर तक नंदिनी नगर, गोंडा, उत्तर प्रदेश में निर्धारित किया गया।
खेल मंत्रालय ने पूरे मामले पर गंभीरता से विचार करने के बाद आवश्यक कार्रवाई की है। खेल मंत्रालय ने बताया “डब्ल्यूएफआई के संविधान की प्रस्तावना के खंड 3 (ई) के अनुसार, डब्ल्यूएफआई का उद्देश्य, कार्यकारी समिति द्वारा चयनित स्थानों पर यूडब्ल्यूडब्ल्यू नियमों के अनुसार सीनियर, जूनियर और सब जूनियर राष्ट्रीय चैंपियनशिप आयोजित करने की व्यवस्था करना है। इस तरह के निर्णय कार्यकारी समिति द्वारा लिए जाते हैं, जिसके समक्ष एजेंडा को विचार के लिए रखा जाना आवश्यक होता है। डब्ल्यूएफआई संविधान के अनुच्छेद XI के अनुसार, ईसी बैठक के लिए न्यूनतम नोटिस अवधि 15 वर्ष है। यहां तक कि आपातकालीन ईसी बैठक के लिए भी न्यूनतम नोटिस अवधि सात दिन है और इसमें एत तिहाई सदस्यों का शामिल होना जरूरी है।”
इसके अलावा, खेल मंत्रालय ने यह भी पाया है कि डब्ल्यूएफआई के महासचिव गोंडा के नंदिनी नगर में अंडर-15 और अंडर-20 नेशनल को अंतिम रूप देने वाली कार्यकारी समिति की बैठक में शामिल नहीं थे। प्रेस विज्ञप्ति में यह भी दर्शाया गया है कि अनुराग ठाकुर के नेतृत्व वाले खेल मंत्रालय ने पाया है कि नवनिर्वाचित डब्ल्यूएफआई खेल संहिता की पूरी तरह से अवहेलना करते हुए पूर्व पदाधिकारियों के पूर्ण नियंत्रण में प्रतीत होता है और फेडरेशन का कामकाज पूर्व पदाधिकारियों द्वारा नियंत्रित परिसर से चलाया जा रहा है। यह कथित परिसर भी है जिसमें खिलाड़ियों के यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया गया है और वर्तमान में अदालत इस मामले की सुनवाई कर रही है।”
“भारतीय कुश्ती संघ के नवनिर्वाचित कार्यकारी निकाय द्वारा लिए गए निर्णय स्थापित कानूनी और प्रक्रियात्मक मानदंडों के प्रति घोर उपेक्षा दर्शाते हैं, जो डब्ल्यूएफआई के संवैधानिक प्रावधानों और राष्ट्रीय खेल विकास संहिता दोनों का उल्लंघन करते हैं। कार्यवाही अध्यक्ष की ओर से पूर्ण मनमानी की बू आती है, जो सुशासन के स्थापित सिद्धांतों के खिलाफ है और पारदर्शिता और उचित प्रक्रिया से रहित है। निष्पक्ष खेल, पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए शासन मानदंडों का पालन महत्वपूर्ण है।”
विशेष रूप से, खेल की सर्वोच्च शासी निकाय यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग ने अभी तक डब्ल्यूएफआई के निलंबन को हटाने के लिए आधिकारिक सूचना जारी नहीं की है और खेल मंत्रालय ने डब्ल्यूएफआई को “अगले आदेश तक अपनी सभी गतिविधियों को निलंबित करने” का निर्देश दिया है। गौरतलब है कि यूडब्ल्यूडब्ल्यू ने समय पर चुनाव नहीं कराने के कारण अगस्त में डब्ल्यूएफआई पर प्रतिबंध लगा दिया था।