Dr. Emanuel Lasker: Lasker Was The World Champion In Chess For 27 Years, Ruled From 1894 To 1921 – Amar Ujala Hindi News Live
लास्कर
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हमारे कॉलम ‘इस तारीख को जन्मे शतरंज चैंपियन’ में हम उस खिलाड़ी के बारे में जानेंगे जो इस खेल का चैंपियन था। जो न केवल सबसे वस्तुनिष्ठ व्याख्याकार था, बल्कि एक अत्यंत व्यक्तिपरक खिलाड़ी भी था। जो निष्पक्षता के बजाय विरोधियों की शैली और चरित्र के आधार पर निर्णय लेता था। यह कोई और नहीं बल्कि डॉ. इमानुएल लास्कर हैं। वह 1894 से 1921 तक 27 साल तक विश्व चैंपियन रहे थे।
एक डॉक्टर (पीएचडी) गणित के विशेषज्ञ और एक दार्शनिक लास्कर (24 दिसंबर, 1868 ) का जन्म न्यूमार्क (अब पोलैंड में बारलाइनक) के बर्लिनचेन में हुआ था।
विश्व शतरंज चैंपियन के रूप में अपने 27 वर्षों के दौरान और उसके बाद के वर्षों में भी लास्कर ने आधुनिक शतरंज रणनीति को गतिशीलता और रचनात्मकता के साथ ढालने में योगदान दिया।
ऑस्ट्रियन मॉर्फी के नाम से मशहूर रणनीतिकार विल्हेम स्टी को हराकर लास्कर पहली बार विश्व विजेता बने थे। अपने समय में लास्कर सबसे प्रभावशाली चैंपियनों में से एक थे। उन्हें अभी भी आम तौर पर इतिहास के सबसे मजबूत खिलाड़ियों में से एक माना जाता है। उनके समकालीन कहते थे कि लास्कर ने खेल के लिए मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण का इस्तेमाल किया और यहां तक कि कभी-कभी उन्होंने विरोधियों को भ्रमित करने के लिए जानबूझकर घटिया चालें खेलते थे।
हालांकि वह अपने समकालीनों की तुलना में अधिक लचीले दृष्टिकोण का इस्तेमाल करते थे। उन्होंने शतरंज पत्रिकाएं और पांच शतरंज पुस्तकें प्रकाशित कीं। लास्कर छात्रों के दिमाग में एक सोच प्रक्रिया शुरू करने में विश्वास करते थे। लास्कर का शिक्षकों को लेकर कथन था कि उनका कर्तव्य विद्यार्थियों को स्वतंत्र रूप से सोचना सिखाना है।
प्रथम विश्व युद्ध के दौरान लास्कर ने अपनी सारी बचत जर्मन युद्ध बांड में निवेश की, युद्धकालीन और युद्धोपरांत मुद्रास्फीति के कारण इनका लगभग संपूर्ण बचत नष्ट हो गई। कैपब्लैंका (1921) के खिलाफ मैच में उनके खराब परिणाम का कारण जीवन भर की बचत के नुकसान के कारण हुआ अवसाद था।
लास्कर एक महान सेनानी थे। कुछ ही वर्षों में उन्होंने शानदार वापसी की। उन्होंने मोरावस्का ओस्ट्रावा 1923 शतरंज टूर्नामेंट जीता था जिसमें एक भी मुकाबला नहीं हारे। फिर प्रसिद्ध न्यूयॉर्क 1924 शतरंज टूर्नामेंट अपने नाम किया (तत्कालीन विश्व चैंपियन कैपबेलैंका से आगे) और 1925 में मॉस्को में दूसरे स्थान पर रहकर शानदार वापसी की (कैपब्लांका से आगे)। 11 जनवरी, 1941 को न्यूयॉर्क के माउंट सिनाई अस्पताल में लास्कर की किडनी संक्रमण से उनकी मृत्यु हो गई।
(लेखक जाने-माने ग्रैंडमास्टर हैं)