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Wfi Elections: There Was No Consensus On The Post Of President Till The End, Brij Bhushan Camp Left This Post – Amar Ujala Hindi News Live

WFI Elections: There was no consensus on the post of President till the end, Brij Bhushan camp left this post

बृजभूषण शरण सिंह और संजय सिंह
– फोटो : सोशल मीडिया

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यह चुनाव तो भारतीय कुश्ती संघ का था, लेकिन भारतीय ओलंपिक संघ भवन में गहमा-गहमी किसी बड़े चुनाव सरीखी थी। भवन के अंदर और बाहर बड़ी संख्या में संजय सिंह समर्थक मौजूद थे। संजय की जीत की घोषणा होते ही उनके समर्थकों ने मतगणना कमरे के अंदर ही उन्हें कंधों पर बिठाकर हार-फूल और मालाओं से लाद दिया। ढोल की थाप के बीच नाचते-गाते उन्हें 50 के करीब गाडिय़ों के काफिले के साथ ले जाया गया। चुनाव से पूर्व यही उम्मीद थी कि बृजभूषण का खेमा सभी 15 पदों पर आसानी से चुनाव जीतेगा, लेकिन दो उनके विरोधी भी जीतने में सफल रहे। सिर्फ इन दोनों उम्मीदवारोंं के गले में हार नहीं थे, बाकी सभी को मालाएं पहनाई गईं। दबाव के बावजूद बृजभूषण अपने करीबी के लिए अंत तक अध्यक्ष पद छोडऩे को तैयार नहीं हुए। उन्होंने आंदोलनकारी पहलवानों के लिए दो ही पद छोड़े।

यूडब्ल्यूडब्ल्यू पर्यवेक्षक की रिपोर्ट प्रतिबंध का करेगी फैसला

साक्षी, विनेश, बजरंग की खेल मंत्रालय से मांग थी कि अध्यक्ष, वरिष्ठ उपाध्यक्ष, महासचिव और कोषाध्यक्ष पद उनके समर्थकों को दिए जाएं। बृजभूषण को कहा भी यही गया था, लेकिन वह इसके लिए तैयार नहीं हुए। हालांकि अंतिम क्षणों में वह महासचिव और वरिष्ठ उपाध्यक्ष का पद छोडऩे के लिए तैयार हो गए, लेकिन अध्यक्ष और कोषाध्यक्ष पद नहीं छोड़ा। चुनाव निर्वाचन अधिकारी एमएम कुमार, यूनाइटेड वल्र्ड रेसलिंग के पर्यवेक्षक विनय सिवाच और आईओए पर्यवेक्षक सहदेव यादव की निगरानी में हुए। यूडब्ल्यूडब्ल्यू ने कुश्ती संघ को प्रतिबंधित कर रखा है। यूडब्ल्यूडब्ल्यू पर्यवेक्षक की रिपोर्ट के बाद अब कुुश्ती संघ के प्रतिबंध पर फैसला लेगा।

आज के बाद कुुश्ती लड़ते हुए नहीं देखेंगे

ओलंपिक में पदक जीतने वाली देश की पहली महिला पहलवान साक्षी मलिक ने गुरुवार को बृजभूषण के करीबी संजय सिंह के कुुश्ती संघ के अध्यक्ष बनने के विरोध में कहा कि आज के बाद आप मुझे कुश्ती लड़ते हुए नहीं देखेंगे। इसके बाद वह अपने जूते मंच पर रखकर रोते हुए निकल गईं। अपने 13 साल के पहलवानी के कॅरिअर में साक्षी ने एक स्वर्ण समेत राष्ट्रमंडल खेलों के तीन पदक जीते। साथ ही चार एशियाई चैंपियनशिप के पदक भी उन्होंने जीते हैं। वहीं बजरंग ने कहा कि उन्हें दुख है कि सरकार अपने शब्दों से पीछे हट गई। उन्हें आश्वासन दिया गया था कि बृजभूषण का कोई भी करीबी चुनाव में नहीं खड़ा होगा। उन्हें अब यह भी पता नहीं है कि वह अपनी कुश्ती जारी भी रख पाएंगे या नहीं।

आश्वासन मिला था कोई करीबी चुनाव में नहीं खड़ा होगा

बृजभूषण के खिलाफ यौन उत्पीडऩ के आरोप लगाने वाले इन पहवालनों ने जंतर मंतर पर धरना दिया था, जिसे काफी समर्थन मिला था, लेकिन 28 मई को संसद भवन तक मार्च निकालने के दौरान दिल्ली पुलिस ने उन्हें हिरासत में लेकर धरना समाप्त करा दिया था। सात जून को पहलवानों ने खेल मंत्री अनुराग ठाकुर के आश्वासन के बाद धरना समाप्त कर दिया था। उन्हें आश्वासन दिया गया था कि बृजभूषण का कोई भी करीबी चुनाव में नहीं खड़ा होगा। बजरंग ने कहा कि संजय सिंह के अध्यक्ष बनने के बाद उन्हें नहीं लगता हैै कि महिला पहलवानों को न्याय मिलेगा।

महिला पहलवानों ने खेल मंत्री को सुनाई थी आपबीती

बजरंग ने आरोप लगाया कि 15 से 20 महिला पहलवान खेल मंत्री से मिली थीं और अपनी आपबीती सुनाई थी, लेकिन अब सिर्फ छह महिला पहलवान ही इन आरोपों पर खड़ी हुई हैं। उन्हें इनके भी पीछे हट जाने की उम्मीद है। विनेश ने तो यहां तक कहा कि संजय सिंह के कार्यकाल में महिला पहलवानों को उत्पीडऩ का सामना करना पड़ सकता है। विनेश ने यहां तक कहा कि वह और बजरंग गृह मंत्री से भी मिले थे और उन्हें यौन उत्पीडऩ की शिकार महिला पहलवानों का नाम भी बताया था। हमने उनसे गुहार लगाई थी कि वह इस मामले को देखें। तीन-चार माह के इंतजार के बाद हमने जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन शुरू किया।

बेटे ने लहराया पोस्टर दबदबा तो है, दबदबा तो रहेगा

आंदोलनकारी पहलवानों की ओर से बृजभूषण शरण सिंह के बेटे प्रतीक भूषण सिंह का एक फोटो पोस्ट किया गया, जिसमें प्रतीक चुनाव के बाद एक पोस्टर लहरा रहे हैं। पोस्टर में बृजभूषण के फोटो के साथ लिखा है कि दबदबा तो है, दबदबा तो रहेगा, यह तो भगवान ने दे रखा है, लिखा है।

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