संभावना हो या कयास राजनीति में सबकी गुंजाइश रहती है। कुछ भी असंभव नहीं है। महाराष्ट्र की राजनीति अपने रंगमंच पर इसी तरह के इंद्रधुनषी रंग बिखेर रही है। अपने चाचा से अलग जाकर एनडीए से जुड़ने और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनने वाले अजित पवार हर दिन मजबूत हो रहे हैं। प्रतिक्रिया न देकर और आए दिन भतीजे की तीन दिन लगातार भेंट के बाद शरद पवार झटका झेलकर अपना कद बनाए हुए हैं। कांग्रेस खामोश है।
उप मुख्यमंत्री अजित पवार से मुलाकात के बाद शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और उनकी सेना (संजय राउत और अन्य) संतुष्ट नजर आ रहे हैं। घटनाक्रमों में दिलचस्प है कि राजनीति का खेल भाजपा के रणनीतिकारों को भी अच्छा लग रहा है। एनसीपी (अजित पवार) और शिवसेना (उद्धव ठाकरे) को भरोसा है कि जल्द ही अजित पवार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनेंगे।
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने दिल्ली आकर परिवार के सदस्यों के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से भेंट की। इन घटनाक्रमों के सामानांतर एकनाथ शिंदे गुट के शिवसैनिकों में अभी भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। ठाणे क्षेत्र के एकनाथ शिंदे के विश्वस्त का कहना है कि हमारे पास भाजपा के नेताओं द्वारा दिया गया भरोसा है। सूत्र का कहना है कि ऐसा कुछ भी नहीं होने वाला। अगले साल चुनाव तक राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ही रहेंगे। दिल्ली यात्रा के बारे में मराठा नेता का कहना है कि वह निजी यात्रा में दिल्ली गए हैं। हालांकि, सूत्र ने दिल्ली में किसी बड़े भाजपा नेता से मुलाकात की संभावना से इनकार नहीं किया है।
मुख्यमंत्री बनने की चर्चा गर्म
22 जुलाई को महाराष्ट्र के दोनों उप मुख्यमंत्री (देवेन्द्र फड़णवीस और अजित पवार) का जन्मदिन था। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे दिल्ली में थे। महाराष्ट्र में अजित पवार को मुख्यमंत्री बनाने की चर्चा गर्म है। जब अजित पवार दिल्ली के अशोका होटल में प्रफुल्ल पटेल के साथ एनडीए की बैठक में आए थे तो भाजपा के नेता विनोद तावड़े से उनकी करीबी सबने देखी थी। हालांकि, अजित पवार के मुख्यमंत्री बनने या न बनने के बारे में भाजपा की तरफ से कोई भविष्यवाणी नहीं करना चाहता। उधर, एनसीपी के विधायक अमोल मिटकरी का भी दावा है कि जल्द ही अजित पवार मुख्यमंत्री की शपथ लेंगे।
प्रतिक्रिया देने से बच रहे नेता
मिटकरी ने बाकायदा इसके बाबत ट्वीट कर दिया है। शिवसेना (उद्धव ठाकरे) के नेता संजय राउत ने अपनी भाषा थोड़ी मुलायम की है। लेकिन एक दावा अभी भी लगातार कर रहे हैं। संजय राउत का दावा है कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की कुर्सी अधिक समय तक उनके पास नहीं रहने वाली है। इस पर जल्द ही अजित पवार की ताजपोशी होगी। इन संभावना पर महाराष्ट्र भाजपा के नेता प्रतिक्रिया देने से बचते हुए नजर आ रहे हैं। यही नहीं एनसीपी (शरद पवार) गुट के अनिल देशमुख समेत अन्य भी ऐसे सवाल पर प्रतिक्रिया देने से बच रहे हैं।
क्या शरद पवार ने दो घोड़ों पर सवारी का किया सियासी ड्रामा?
महाराष्ट्र नव निर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे का मानना है कि एनसीपी में टूट एनसीपी प्रमुख शरद पवार का सियासी ड्रामा है। अमर उजाला ने इस संभावना की पड़ताल की तो एनसीपी के नेता और शरद पवार के विश्वस्त अनिल देशमुख ने बहुत संभलकर प्रतिक्रिया दी थी। नागालैंड में एनसीपी के 7 विधायकों के टूटकर अजित पवार की एनसीपी में जाने पर भी शरद पवार ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
शरद पवार बंगलूरू में विपक्षी दलों की एकता बैठक में गए थे। वहां से लौटने के बाद से उन्होंने अजित पवार और उनके साथ एनसीपी से बगावत करने वाले विधायकों के खिलाफ कोई सख्त कदम नहीं उठाया। इतना ही नहीं बंगलूरू रवाना होने से एक दिन पहले तीन दिन तक लगातार तीन बार अजित पवार और उनके सहयोगियों ने शरद पवार से मुलाकात की। उनके पैर छुए, आशीर्वाद मांगा। एनसीपी की एकजुटता का मार्गदर्शन भी मांगा और शरद पवार ने इस मामले में अभी कोई ठोस जवाब नहीं दिया है। ऐसे में लोगों को लग रहा है कि यह एनसीपी के प्रमुख और मराठा राजनीति के रहस्यमयी नेता शरद पवार के राजनीतिक दांवपेंच में सब हो रहा है।
शरद पवार हो रहे बूढ़े
राजेन्द्र निंबालकर कहते हैं कि यह चर्चा पूरे महाराष्ट्र में है। दरअसल शरद पवार बूढ़े हो रहे हैं। उन्होंने महाराष्ट्र में राजनीति का वारिस अजित पवार को ही बना रखा है। उनकी बेटी सुप्रिया सुले दिल्ली में राष्ट्रीय स्तर की बौद्धिक वर्ग की राजनीति करती हैं। शरद पवार के मुताबिक, राष्ट्रीय राजनीति में एनसीपी की तरफ से हर पहल प्रफुल्ल पटेल करते हैं। छगन भुजबल, तटकरे सब शरद पवार की आंख, नाक, कान हैं। इसलिए शरद पवार ने बड़े सलीके से यह राजनीति की डिजाइन तैयार की है। वह पक्ष और विपक्ष दोनों को राजनीति का खेल सिखा रहे हैं।
शिंदे की राजनीतिक दुश्वारियां बढ़ेंगी तेजी से
उद्धव ठाकरे और संजय राउत दोनों चाहते हैं कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे हाशिए पर चले जाएं। शिवसैनिकों का मानना है कि मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटने के बाद एकनाथ शिंदे की राजनीतिक दुश्वारियां तेजी से बढ़ेंगी। इसका शिवसेना को अच्छा राजनीतिक फायदा होगा। शिवसेना (उद्धव ठाकरे) को लग रहा है कि अजित पवार के मुख्यमंत्री बनने के बाद उसका यह लक्ष्य तेजी से हासिल होगा। इससे एकनाथ शिंदे को भी बगावत का सबक मिल जाएगा। उद्धव ठाकरे गुट के नेता कहते हैं कि 16 विधायकों की अयोग्यता का फैसला आने के साथ उद्धव ठाकरे के राजनीतिक वजूद को मजबूती मिलनी शुरू हो जाएगी। एकनाथ शिंदे इसके साथ ही भाजपा के लिए बोझ बनना शुरू हो जाएंगे। बताते हैं ऐसा होने के बाद एनसीपी (शरद पवार) को भी फायदा होगा।
चुनाव होने में आठ से नौ महीने का समय
अभी चुनाव में 8-9 महीने का समय बचा है। इस दौरान एनसीपी के नेताओं के कामकाज में तेजी आएगी। महाराष्ट्र की राजनीति को समझने वाले वीडी चतुर्वेदी कहते हैं कि इसका फायदा भाजपा को भी है। वह अपने से बिछुड़ चुकी शिवसेना (उद्धव ठाकरे) को अजित पवार के माध्यम से जोड़ने का अवसर पा सकती है। चतुर्वेदी कहते हैं कि अजित पवार एक राजनीति का जंक्शन प्वाइंट साबित हो सकते हैं। जहां वह एक तरफ एनसीपी और शरद पवार के लिए भाजपा से राजनीतिक रिश्ते का दरवाजा खोल रहे हैं, वहीं शिवसेना (उद्धव ठाकरे) से भाजपा को खटास कम करने का अवसर मिल सकता है। चतुर्वेदी के मुताबिक इन दोनों ही परिस्थितियों में राजनीतिक नुकसान केवल कांग्रेस को होगा। वह राजनीतिक रूप से और मतों की हिस्सेदारी मेंं अलग-थलग पड़ सकती है। वीडी चतुर्वेदी कहते हैं कि देखते जाइए। मेरे विचार में महाराष्ट्र में शतरंज की बिसात पर राजनीति की बड़ी चालें चली जा रही हैं।