विश्व पर्यावरण दिवस: इंसान जो दे रहे, वही वापस लौटा रही प्रकृति, हमारे खून में पहुंच रहा प्लास्टिक – World Environment Day: Nature Is Returning What Humans Are Giving, Plastic Reaching Our Blood
सांकेतिक तस्वीर।
– फोटो : सोशल मीडिया
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प्लास्टिक हमारे खून तक पहुंच रहा है क्योंकि प्रकृति इसे वापस लौटा रही है। वैज्ञानिक अध्ययनों में यह पता चला है कि हमारे नमक में माइक्रोप्लास्टिक मिल रहा है। हम हर दिन हजारों टन प्लास्टिक कचरा पैदा कर रहे हैं। इसलिए गंगा से लेकर समुद्र तक में प्लास्टिक का कचरा बढ़ रहा है।
- वैज्ञानिकों का दावा…प्लास्टिक की एक बॉल जब बैट से हिट करती है तो कई माइक्रोप्लास्टिक पैदा होते हैं।
नदियों के जरिये गंगा में पहुंच रहा
नेशनल प्रॉडक्टिविटी काउंसिल (एनपीसी) ने यूनाइटेड नेशन्स एनवायरनमेंट प्रोग्राम (यूनेप) के साथ मिलकर गंगा तट पर बसे हरिद्वार, आगरा और प्रयागराज के किनारे प्लास्टिक प्रदूषण के स्रोत की पड़ताल की।
- रिपोर्ट के मुताबिक, 25 फीसदी प्लास्टिक कचरा न रिसाइकल होता है न ही उसका सही तरीके से निपटारा होता है।
हमारे रक्त में प्लास्टिक
हमारे शरीर में नमक के सहारे माइक्रोप्लास्टिक पहुंच रहा है। इसमें पॉलीइथाइलीन, पॉलिएस्टर और पॉलीविनाइल क्लोराइड जैसे पॉलिमर हैं, जो गैर संचारी रोगों को बढ़ावा दे रहे हैं।