मई के पहले सप्ताह में मणिपुर में सुरक्षा स्थिति के कारण भारत-म्यांमार सीमा पर सुरक्षित क्षेत्रों में शरण लेने वाले 124 विस्थापित नागरिकों की सुरक्षित वापसी हुई है। इसके लिए असम राइफल्स ने राज्य सरकार की एजेंसियों और स्थानीय जनमत निर्माताओं का सहयोग लिया।
इस प्रयास का स्थानीय सामुदायिक नेताओं ने समर्थन किया है। इसे क्षेत्र में सामान्य स्थिति और उम्मीद की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। इससे लोगों को अपने जीवन का पुनर्निर्माण करने में मदद मिलेगी और अंतर-सामुदायिक सद्भाव को भी बढ़ावा मिलेगा।
असम राइफल्स ने इन विस्थापित लोगों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सुरक्षा बलों द्वारा उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के अलावा भोजन, आश्रय और चिकित्सा सहायता सहित आवश्यक राहत सहायता प्रदान की गई थी।
इस घटना को अतीत के झगड़ों को पीछे छोड़ने और शांतिपूर्ण व समृद्ध भविष्य के लिए नई शुरुआत को गले लगाने के लिए लोगों की तत्परता के रूप में देखा जा रहा है। मोरेह में विस्थापित लोगों की वापसी शांति और प्रगति का एक सकारात्मक संकेत है। यह घटना उम्मीद पैदा करती है कि यह क्षेत्र उस स्थायी शांति और समृद्धि के मार्ग पर आगे बढ़ता रहेगा, जिससे परिवारों का पुनर्मिलन और समुदायों का पुनर्निर्माण होता है।
इस बीच, मणिपुर सरकार के सलाहकार कुलदीप सिंह ने बताया कि मणिपुर में हाल ही में हुई झड़पों में मरने वालों की संख्या बढ़कर 71 हो गई है। समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए सिंह ने शुक्रवार को कहा, ‘मरने वालों की संख्या अब लगभग 71 है।’
उन्होंने कहा, ‘कल मणिपुर कमांडो और उग्रवादियों के बीच गोलीबारी हुई थी। छह कमांडो घायल हो गए और उनमें से एक मारा गया। सिंह ने आगे कहा कि चुराचांदपुर क्षेत्र में एक वाहन में पीडब्ल्यूडी के तीन मजदूर भी मृत पाए गए। उन्होंने कहा कि घटना के पीछे के सही कारणों का अभी पता नहीं चल पाया है।
राज्य में हिंसा भड़कने के बाद तीन मई को कर्फ्यू लगा दिया गया था। राज्य सरकार ने दहशत और झूठी सूचनाओं के प्रसार को रोकने के लिए इंटरनेट और मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी थी। अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मैतेई की मांग के बीच ऑल ट्राइबल्स स्टूडेंट्स यूनियन (एटीएसयू) मणिपुर ने तीन मई को एक रैली का आयोजन किया था, जो बाद में हिंसक हो गई थी।
ताजा आंकड़ों के अनुसार, मणिपुर में हिंसा के दौरान लगभग 71 लोगों की जान जा चुकी है, जबकि 230 से अधिक घायल हुए और 1700 के करीब घरों को जला दिया गया।