नया संसद भवन:सबसे बड़े लोकतंत्र काे आधुनिक पहचान, वह खास दिन, आजादी से ठीक पहले वाले दिन का पूरा ब्योरा – Inauguration Of New Parliament House: Modern Identity Of The Largest Democracy, Know Full Details
नया संसद भवन।
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विस्तार
कांग्रेस भले ही आज यह दावा कर रही हो कि राजदंड सेंगोल का सत्ता हस्तांतरण से कोई लेना देना नहीं है, लेकिन आजादी से ठीक पहले वाले दिन क्या-क्या हुआ इसका लिखित ब्योरा आज भी मौजूद है। आजादी के तुरंत बाद टाइम पत्रिका ने 25 अगस्त, 1947 को एक आलेख प्रकाशित किया जिसमें इस बारे में विस्तार से बताया गया था। केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने कांग्रेस के आरोपों के जवाब में यह आलेख ट्विटर पर साझा किया है।
इसमें लिखा गया है : ‘जैसे ही ऐतिहासिक दिन करीब आया, भारतीयों ने अपने ईश्वर को धन्यवाद देना शुरू किया और पूजा, प्रार्थना, भजन आदि सुनाई देने लगे। सरोजिनी नायडु ने रेडियो संदेश का थीम गीत तय किया…।
क्या हुआ था 14 अगस्त के दिन
भारत के पहले प्रधानमंत्री बनने से एक दिन पहले जवाहरलाल नेहरू जैसे अनीश्वरवादी भी धार्मिक उत्साह में थे। दक्षिण भारत में तंजौर से हिंदू संन्यासी अंबलवाण देसिगर स्वामी के दो प्रतिनिधि आए थे।अंबलवाण ने सोचा कि प्राचीन भारतीय राजाओं की तरह, वास्तविक भारत सरकार के पहले भारतीय प्रमुख के रूप में नेहरू को पवित्र हिंदुओं से सत्ता का प्रतीक और अथॉरिटी हासिल करनी चाहिए। इन प्रतिनिधियों के साथ वाद्य यंत्र नागस्वरम को बजाने वाले भी आए थे। दूसरे संन्यासियों की तरह इन दोनों पुजारियों के बाल बड़े थे और बालों में कंघी नहीं की गई थी और इसे जटा की तरह गोल बांधा गया था। उनकी खुली छाती पर अंबलवाण स्वामी के आशीर्वाद के रूप में पवित्र भस्म मली हुई थी।