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जयंती विशेष:जहां गूंजी थी किलकारी, छोटे से गेट के पार टैगोर का संसार – Rabindranath Tagore Jayanti 2023 Life Story

Rabindranath Tagore Jayanti 2023 Life Story

Rabindranath Tagore
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार

जोड़ासांको (ठाकुरबाड़ी), यह उत्तरी कोलकाता का एक ऐतिहासिक स्थल है, जहां रवींद्रनाथ टैगोर (ठाकुर) का पुश्तैनी घर मौजूद है। देवेंद्रनाथ टैगोर और शारदा देवी के इसी घर में 7 मई, 1861 (बंगाली कैलेंडर के हिसाब से 25 वैसाख, 1268) में महान कवि, पहले भारतीय और पहले गैर-यूरोपीय नोबेल पुरस्कार विजेता गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म हुआ था। इस बार रवींद्रनाथ टैगोर की जयंती 9 मई को मनाई जा रही है। उन्हें गुरुदेव के नाम से भी जाना जाता है। आज भले ही गुरुदेव हमारे बीच सशरीर मौजूद नहीं हैं, लेकिन यहां का हर कण मानो खुद-ब-खुद उनकी गाथा सुना रहा है।

यहीं पर उनका बाल्यकाल गुजरा और यहीं पर आठ वर्ष की आयु में पहली बार कविता की रचना की और सोलह वर्ष की आयु में लघुकथा प्रकाशित हुई। यहीं से शुरू हुआ था नोबेल पुरस्कार से लेकर नाइटहुड और भारत रत्न तक का सफर। और 7 अगस्त, 1941 को देश की आजादी से करीब छह वर्ष पहले उन्होंने यहीं पर आखिरी सांसें भी लीं। वे केवल विश्व विख्यात कवि ही नहीं थे, बल्कि वे दार्शनिक, रचनाकार, नाटककार, चित्रकार, समाज सुधारक, और संगीतकार भी थे। 

गुरुदेव ने 50 से अधिक काव्य संग्रह और करीब 2,230 से अधिक गीत लिखे। वे बांग्ला साहित्य के माध्यम से भारतीय सांस्कृतिक चेतना में नई जान फूंकने वाले युगदृष्टा थे। वे एक मात्र ऐसे कवि हैं, जिनकी दो रचनाएं दो देशों की राष्ट्रगान बनीं- ‘जन गण मन’ भारत का और बांग्लादेश का राष्ट्रीय गान ‘आमार सोनार बांग्ला’ गुरुवेद की ही रचनाएं हैं।



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